आज का युग शोध और खोज का है। पुराणों में वर्णित घटनाओं एवं प्रसंगों से हमारी आत्मा में प्रश्न उठना चाहिए और उत्तर भी प्राप्त करना चाहिए। राग-द्वेष सतयुग में भी थे। आचार्यों ने पुराण लिखे, तो उन्हें भी ज्ञात नहीं होगा कि सत्य-असत्य क्या है। उन्होंने जो परोक्ष में देखा-सुना, लिखा।
रावण मंदोदरी से जबरदस्ती विवाह करने जाते हैं। राजा मय के मना करने पर उन्हें चंद्रहासखड्ग से भयभीत करते हुए कहते हैं कि मैं तुम्हारी पुत्री से ही विवाह करूँगा, अन्यथा मरने के लिए तैयार हो जाओ। मय दानव पुत्री मंदोदरी रावण के पैर पकड़ते हुए कहती है - लंकेश ! मैं आपसे विवाह करने के लिए तैयार हूँ। आप मेरे माता-पिता पर दया कर छोड़ दीजिये तब मंदोदरी की माँ कहती हैं - दुष्ट, अत्याचारी, अधर्मी रावण ! मैं अपनी पुत्री का विवाह तेरे साथ नहीं होने दूंगी, क्योंकि तूने कुबेर से लंका छीनी, ऋषि-मुनियों के खून का तू प्यासा है, स्त्री तेरे नाम से थर-थर कांपती है और तो और तूने अपने ही पिता के साथ विद्रोह किया। मैं तुझे अपने बेटी नहीं ले जाने दूंगी। रावण मंदोदरी के पिता को धक्का देकर मंदोदरी को ले जाते हैं। बेबस मंदोदरी माँ-बाप के सामने रोती हुई जाती है, जैसे कोई बलात्कारी ले जा रहा हो, रावण ने सीता का हरण किया तो क्यों किया ? रावण यज्ञ, ऋषि-मुनि विरोधी था आदि घटनाओं के उत्तर मैं सभी धर्मों के प्राचीन ग्रंथों में वर्णित घटनाओं को क्रमबद्ध लिखूंगी। घटनाओं की जो यथार्थता सामने आएगी, उनमें मेरा उद्देश्य किसी भी धर्म की महत्ता को कम करना नहीं है।
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