Sunday, 27 November 2016

हठीले कैकसी पुत्र आनंद

कैकसी पुत्र आनंद जीव दया धर्म को मानने वाले थे। कोई पशु-पक्षियों को प्रताड़ित करे, तो वे पशु-पक्षियों की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते थे। अशनिवेग रावण के पूर्व लंका के स्वामी थे। रत्नश्रवा (विश्रवा) अशनिवेग के राजमहल में ब्राम्हण पद के धारक थे और उनके पुत्र कुबेर लोकपाल थे। आनंद के माता-पिता दोनों ही राक्षस वंश के थे। राक्षस वंश से अभिप्राय होता है - धर्म, स्त्री, त्रियंच जीवों की रक्षा करने वाला। 
                      लोकपाल कुबेर जानते थे की सौतेले महाबलवान भाई आनंद को उसकी ही अच्छाई से पराजित किया जा सकता है। कुबेर ने दानव, वानर, नागों से मित्रता कर उन्हें लंका का वैभव पाने का लालच दिया। उस समय ऋषि-मुनि तपस्वी थे परंतु कुबेर ने दानव, वानर, नागों के साथ मिलकर प्रपंचकारी ऋषि-मुनियों की टोली बनायीं, जो जानबूझकर बालक आनंद के सामने पशुओं को प्रताड़ित करते थे। बालक आनंद उन ऋषियों से लड़ने-झगड़ने लगते। पिता पुत्र को समझाते - पुत्र ! तुम अबोध हो, तुम्हे इनसे झगड़ने की आवश्यकता नहीं है। हठीले आनंद नहीं जानते थे कि ऋषिगण प्रताड़ित पशुओं को नहीं  बल्कि उनको कर रहे हैं। कुबेर अपनी योजना पर अत्यंत प्रसन्न हुए। अब उन्होंने ऋषि-मुनियों को यज्ञ में पशुबलि की आज्ञा दी। बालक आनंद का साथ भानुकर्ण (कुम्भकर्ण) भी देते थे। यज्ञ में पशुओं की बलि दी जाता, तो वे क्रोधित होकर हवनकुंड में पानी डाल देते और पशुओं को स्वतंत्र कर देते थे। ऋषि-मुनियों ने कैकसी पुत्र के विरुद्ध निंदा प्रस्ताव रखा और रत्नश्रवा से कहा - तुम अपने पुत्र को रोको, वह हमारे धर्म में विघ्न न डाले और उससे अपनी भूलों के लिए क्षमा मांगने को कहो अन्यथा हम सब उसे देवलोक से बाहर निकल देंगे। पिता ने पुत्र से क्षमा मांगने को कहा। इस पर बालक आनंद बोले - पिताश्री ! आप मुझे इन दुष्ट पाखंडियों से क्षमा मांगने को कह रहे हैं। मैं इनसे क्षमा नहीं मागूंगा। यदि यह सब हिंसा करेंगे, तो मैं इन्हें रोकूंगा। सभी ऋषिगण क्रोधित होकर बोले - रत्नश्रवा ! तेरा पुत्र बहुत उदंडी है, ये दशानंद नहीं दशानन है। जिन ऋषि-मुनियों की सभी पूजा व सम्मान करते हैं, तेरा पुत्र हम सभी को दौड़ा-दौड़ाकर मारता है। संसार इसे दशानन के नाम से जानेगा। इस प्रकार ऋषि-मुनियों की प्रपंचकारी टोली ने बालक आनंद के लिए दंड निर्धारित किया और आगे भी देते रहे। कोई एक अबोध बालक के साथ इतना छल कर सकता है तो युवावस्था में उनके साथ कितना छल करेगा। उन छल-प्रपंचों को आगे लेन का मेरा प्रयास है। 

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