रामायण के अनुसार कैकसी सुमाली की पुत्री थी तो जैन पदमपुराण के अनुसार कैकसी राजा व्योम बिंदु - रानी नंदवती की पुत्री थी। पदमपुराण में वर्णित - सुमाली के प्रीतिमति रानी से रत्नश्रवा नाम का गुणी व दयालु पुत्र हुआ। रत्नश्रवा रावण के पिता थे जिनका हिन्दू पुराणों में विश्रवा नाम है। कुबेर रावण के सौतेले भाई थे तो पदमपुराण के अनुसार कुबेर कैकसी की बहन के पुत्र थे।
निष्कर्ष मेरा यह है कि कैकसी सुमाली की पुत्री थी। सुमाली ने अशनिवेग की गर्भवती पत्नी का हरण किया था, जिन्हें खोजने के लिये अशनिवेग ने विद्द्याधर निर्घात को पाताललोक भेजा जहाँ माली ने वज्र से निर्घात का ह्रदय बेध दिया, कैकसी अशनिवेग की हरण हुई गर्भवती पत्नी की पुत्री थी। कैकसी को यह ज्ञात नहीं था। कैकसी राक्षसवंश की पुत्री होने के कारण अत्यंत रूपवान एवं गुणवान थी। वह एक दिव्य कन्या थीँ, जिसके रावण-भानुकर्ण जैसे महापराक्रमी पुत्र हुए। कैकसी रत्नश्रवा से विवाह नहीं करना चाहती थीँ। रत्नश्रवा विवाहित थे और उम्र भी ज्यादा थी। कैकसी केवल १३ वर्ष की थीँ। सुमाली के कहने पर रत्नश्रवा से विवाह किया। कुबेर-सुमाली जानते थे कि दोनों राक्षसवंशीय होने के कारण संतान भी अत्यंत बलशाली होंगे जिनसे लंका का वैभव मिलेगा। कुबेर भी रत्नश्रवा के पुत्र थे किन्तु वे बलशाली नहीं थे, कारण कुबेर की माँ दानवपुत्री थी। कैकसी पुत्र के बाबा-अम्मा, ताऊ-ताई, चाचा-चाची, बुआ एवं इनके पुत्र-पुत्रियों का उल्लेख पुराणों में नहीं मिलता है, जिनकी छत्र-छाया बच्चों को सुरक्षा देती है। कैकसी के पिता सुमाली, माली, माल्यवान, मामा मारीच, मायावी मय, नानी, मामी एवं सहस्त्र दानवपुत्रियाँ थीं। कैकसी के लिए इनकी आत्मा में ज़रा भी स्नेह नहीं था। कैकसी के पुत्रों का जन्म से ही विनाश आरम्भ हो चुका था।
क्या रावण ,रत्न श्र वा राकश्ष या पुत्र हो सकता है
ReplyDeleteरावण अपने जिन्दगी मे कुछ अच्छा कार्य किया या नहीं तो क्यों उसकी पुजा होती है कारण
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